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MAIN BOOKER PRIZE WINNER FROM INDIA

MAIN BOOKER PRIZE WINNER FROM INDIA             Writer               Year                       Book V. S. Naipaul              1971                 In a Free State Salman Rushdie         1981                Midnight's children Arundhati Roy           1997               God of Small Things Kiran Desai                 2006               The Inheritence of loss Arvind Adiga             2008                 The White Tiger

BOOK WRITTEN BY INDIAN SPORTS PERSON

               BOOK WRITTEN BY INDIAN SPORTS PERSON               BOOK                                                        PERSON Playing it my way                                            Sachin Tendulkar straight from the heart                                     Kapil Dev By god's grace                                                  Kapil Dev Cricket my life                                                  Kapil Dev The test of my life                                            Yuvraj Singh Sunny Days                                                      Sunil Gavaskar One more over                                                 E. A. S. Prasanna The nice guy who finished first                      Rahul Dravid A century is not enough                                 Sourav ganguly The race of my life                                          Milkha singh A long innings                                                  V

Noble prize winner( Indian)

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भारतीय नोबल पुरस्कार विजेताओं को याद करने का तरीक़ा R ohit   CH emistry  से M.Sc कर रहा   A nd Rk V   K ar रहा  R- Ravindra nath Tagore C- Chandrasekhar Venkatraman  H- Hargovind Khurana M- Mother Teressa Sc - Subramanyam Chandrasekhar A- A martya Sen Rk- R K Pachauri  V- Venkatraman Ramkrishna  K- Kailash satyarthi Trick for Year 1913 अब इस के last में 3 हे तो next होगा 1930 अब दोनो year का difference हो रहा है 17 अब 17 का multiply करो 4 से 17*4=68 तो next year होगा 1968 अब हम क्या करते next year find करने के लिये 10 add करेंगे... जी नहीं हम करेंगे 11 add तो हमारा year बनेगा 1979 अब जो भी next year आएगा ज़ाहिर हे वो 1980 और starting का 3 से  बनेगा यानी 1983 उसके बाद ३० का multipy ३ से करने पर आता 90 and 8(1968) वाला जोड़ दो तो बना 1998 बाक़ी 2007 याद कर लेना वेसे ही 2009 भी याद करो फिर 7 का double 14 now final year है 2014 1913 1930 19 68 1979 1983 1998 2007 2009 2014 Field याद करने की घटिया ट्रिक L- Literature       Ph - Physics      

Indian Railways Zone

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 भारतीय railway के 16 Zone

बस यूँही घूमते - घूमते

     बस यूँही घूमते - घूमते    वा इंसान स्वान के साथ स्वांग आज सुबह मैं यूँही प्रतिदिन की तरह सुबह सुबह साइकिलिंग के लिए निकला तो सामना हुआ आवारा कुत्तों  के झुण्ड से उन्होंने भौंक भौंक और पीछे दौड़ कर साइकिलिंग का मजा बड़ा दिया या बिगाड़ दिया बोलो फर्क नहीं पड़ता।   आज कल एक अजीब सा ट्रेण्ड देखने को  मिलता है , वो शहरों में भी ज्यादा दिखता लेकिन उसकी काया हमारे ग्रामीण जीवन पर भी हावी हुई है, अच्छा  है; वो ट्रेंड है सुबह शाम कुत्ते को घुमाने को ले जाना , कम से कम इस बहाने इंसानो का जानवरों  के प्रति प्यार तो बड़ा और अच्छी खासी वॉक भी हो जाती। लगता है सोसाइटी में कुत्तों के भी अच्छे दिन आ रहे है।   फिर अभी जानवरो के प्रति महोब्बत को देख कर मेरी नजर मुख्य मुद्दे से तो भाग गयी , खैर कोई नहीं फिर मुझे ख्याल आया वो सुबह कुत्ते का झुण्ड आया कहा  से, कौन छोड़ के गया  इस तरह के खूंखार हृदयगति रुकाने वाले जनवरो को यहाँ।  पता चला की इन में से कुछ कुत्ते पहले अपने मालिक के वफादार हुआ करते थे लेकिन आज उनको घर से बेघर कर दिया, सुनने में तो ये भी आया कुछ ने तो नए बच्चो को जन्म देने के बाद उनकी

मिन भी सुणि

मिन भी सुणि गाड़ी मा बेठि योक नोनि कु फोन बाजि पंजाबी गाना का कुछ बोल, अब वींकि आँखि टपराण बेठि कनके उठों फोन। एक बार आयि द्वि बार आयि। तिसरी बार आयि त वीन भि हिम्मत करी ते उठेलि अर- हैलो मम्मी गुड मोर्निंग भि ब्वोलि। अब थोड़ा रुकि तैं एक हाथ मा मुबैल अर दुसरु हाथ गिचा पर लगै कि मुंड फरके के धीमा स्वर मा बात कन बेठि इथ्या धीमा कि बगल पर बेठि बोडि भि वींकि छवीं नि सूण सकि पर एक बात म्येरा कनोड़ तक पोंछि कि - "ऐ जोलु"। अब " ए जोलु " त समझ नि आयि पर एक बात समझ मा ऐगि कि हम गढ़वालि , गढ़वालि लोगों का सामाणि गढ़वालि लोगों दगड़ि , गढ़वालि बत्योण मा सरमाणा छिन । वा नोनि त "भैय्या गाड़ी रोक देना " बोलि के चलि पर बहुत सा सवाल म्येरा सामणि छोड़ि कि जे। मि आज व्यंग वूं लोगों पर कन चाणु जु अपरी संस्कृति छोड़ी तैं पाश्चात्य सभ्यता की ओर मुड़या या हम ब्वोल सकदा कि पाश्चात्य सभ्यता की ओर *भ्योल पड्या* ।  वन त हमारू देश कयी धर्मों कु संगम स्थली चि, और मिते भी ये बातो गर्व चि । और हमतै भि हर एक धर्म कु सम्मान कन चेन । आज कि ही बात करुं त म्येरा सभी दगड्यों अर रि