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Showing posts from January 8, 2018

बस यूँही घूमते - घूमते

     बस यूँही घूमते - घूमते    वा इंसान स्वान के साथ स्वांग आज सुबह मैं यूँही प्रतिदिन की तरह सुबह सुबह साइकिलिंग के लिए निकला तो सामना हुआ आवारा कुत्तों  के झुण्ड से उन्होंने भौंक भौंक और पीछे दौड़ कर साइकिलिंग का मजा बड़ा दिया या बिगाड़ दिया बोलो फर्क नहीं पड़ता।   आज कल एक अजीब सा ट्रेण्ड देखने को  मिलता है , वो शहरों में भी ज्यादा दिखता लेकिन उसकी काया हमारे ग्रामीण जीवन पर भी हावी हुई है, अच्छा  है; वो ट्रेंड है सुबह शाम कुत्ते को घुमाने को ले जाना , कम से कम इस बहाने इंसानो का जानवरों  के प्रति प्यार तो बड़ा और अच्छी खासी वॉक भी हो जाती। लगता है सोसाइटी में कुत्तों के भी अच्छे दिन आ रहे है।   फिर अभी जानवरो के प्रति महोब्बत को देख कर मेरी नजर मुख्य मुद्दे से तो भाग गयी , खैर कोई नहीं फिर मुझे ख्याल आया वो सुबह कुत्ते का झुण्ड आया कहा  से, कौन छोड़ के गया  इस तरह के खूंखार हृदयगति रुकाने वाले जनवरो को यहाँ।  पता चला की इन में से कुछ कुत्ते पहले अपने मालिक के वफादार हुआ करते थे लेकिन आज उनको घर...