मिन भी सुणि

मिन भी सुणि


गाड़ी मा बेठि योक नोनि कु फोन बाजि पंजाबी गाना का कुछ बोल, अब वींकि आँखि टपराण बेठि कनके उठों फोन। एक बार आयि द्वि बार आयि। तिसरी बार आयि त वीन भि हिम्मत करी ते उठेलि अर- हैलो मम्मी गुड मोर्निंग भि ब्वोलि। अब थोड़ा रुकि तैं एक हाथ मा मुबैल अर दुसरु हाथ गिचा पर लगै कि मुंड फरके के धीमा स्वर मा बात कन बेठि इथ्या धीमा कि बगल पर बेठि बोडि भि वींकि छवीं नि सूण सकि पर एक बात म्येरा कनोड़ तक पोंछि कि - "ऐ जोलु"। अब " ए जोलु " त समझ नि आयि पर एक बात समझ मा ऐगि कि हम गढ़वालि , गढ़वालि लोगों का सामाणि गढ़वालि लोगों दगड़ि , गढ़वालि बत्योण मा सरमाणा छिन । वा नोनि त "भैय्या गाड़ी रोक देना " बोलि के चलि पर बहुत सा सवाल म्येरा सामणि छोड़ि कि जे।
मि आज व्यंग वूं लोगों पर कन चाणु जु अपरी संस्कृति छोड़ी तैं पाश्चात्य सभ्यता की ओर मुड़या या हम ब्वोल सकदा कि पाश्चात्य सभ्यता की ओर *भ्योल पड्या* । 
वन त हमारू देश कयी धर्मों कु संगम स्थली चि, और मिते भी ये बातो गर्व चि । और हमतै भि हर एक धर्म कु सम्मान कन चेन ।
आज कि ही बात करुं त म्येरा सभी दगड्यों अर रिश्तेदारों कि सोशियल मीडिया (यानी की वू मीडिया जु पड़ोस कु त पता नहीं पर विदेश कु जाण पछाण करें देनु ) पर एक लुगारु त्यौहारे कि बधाई देणा छिन , मि भी मानदु कि या गलत त निचि पर वूँ तै म्येरु सवाल चि कि 
१-जब हमारा गढ़वालियों कु , सभुं से अलग त्योहार *एकादशी की बग्वाल* ओनि त यूँ मा बे कथ्या लोग वेकि सुभकामना बांटदा ।  
2-सब आज कल एडवांस म हैप्पी न्यू ईयर ब्वोना छिन , पर कभी केन सोचि हमारु धर्म कु नयूं साल कबार बटिन शुरू होनु। 
सब ते एक बात और याद दिलोण चानु कि हम गढ़वाली छिन । याद छैंचि कि नी ?
अफसोस कि अब हमारि गढ़वालि भि बुडया वेगि और अब शायद कुछ ही सालों कि मेहमान रयीं , अंत समीप भि हम गढ़वालियों कि वजह से आंयुं। हम पंजाबी अर इंग्लिश गाना गर्व से बजै देला पर गढ़वालि पर सरम लगलि। ज्यादा ना ब्वोलि म्येरु 
आखिरी सवाल चि -" आखिर किले" ? और यु " किले " क्या चि ये भि फुरसत म सोच्या।
"समय लगि हमते बदलण म दुगणा समय लगलु ये सब बदलण म"।
अफूँ ते बदलण भि हमुन 
अर अपरि गढ़वालि संस्कृति ते समोण भि हमुन।

- कैलाश 
(गढ़वालि नोनु)

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